Thursday 29 November 2012
गरीब बच्चों का हक मार रही है दिल्ली सरकार
गाजियाबाद, 29 नवंबर. आम आदमी पार्टी(आप) ने दिल्ली सरकार के सरकारी जमीनों पर बने निजी स्कूलों की सभी कक्षाओं में गरीब बच्चों के दाखिले के लिए पूर्व निर्धारित 20 फीसदी के कोटे को घटाकर 15 फीसदी करने के निर्णय को गरीब विरोधी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.
25 जनवरी 2007 को दिल्ली सरकार ने अधिसूचना जारी करके सरकारी जमीन पर बने दिल्ली के 395 निजी स्कूलों को गरीब तबके के बच्चों के लिए सभी कक्षाओं में 20 फीसदी सीटें आऱक्षित करके उन्हें मुफ्त शिक्षा देने का आदेश निकाला गया था. लेकिन दिल्ली सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करने की आड़ में 7 जनवरी 2011 को एक नई अधिसूचना जारी करके 2007 की अधिसूचना में व्यक्त अधिकारों को निरस्त कर दिया. इसका फायदा उठाते हुए निजी स्कूलों ने गरीब वर्ग के बच्चों को सभी कक्षाओं में दाखिला देना बंद कर दिया.
आम आदमी पार्टी के कौशांबी दफ्तर में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल राय ने कहा, “ सरकार ने जानबूझकर अधिसूचना में ऐसे प्रावधान डाले ताकि निजी स्कूलों को गरीब वर्ग के छात्रों के लिए नामांकन की बाध्यता से मुक्त किया जा सके. निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने के मकसद से चली गई इस सरकारी चाल की वजह से हजारों बच्चे निजी स्कूलों में अच्छी और मुफ्त शिक्षा पाने से वंचित रह गए.”
7 जनवरी 2007 की अधिसूचना को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई थी जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से फिर से विचार करने को कहा था. लेकिन सरकार के गलत कदम उठाने की वजह से निजी स्कूलों ने पिछले दो साल में गरीब बच्चों को किसी भी कक्षा में दाखिला ही नहीं दिया.
एंट्री प्वाइंट (यानी कक्षा एक) में तो दाखिले हुए लेकिन उसके ऊपर की कक्षाओं में यानी कक्षा दो से कक्षा 12 तक जो दाखिले मिलने चाहिए थे, उससे गरीब वर्ग के छात्र वंचित रह गए. निजी स्कूलों और सरकार की मिलीभगत से गरीबों तबके का अधिकार छीने जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए गोपाल राय ने कहा, “दिल्ली सरकार को जवाब देना होगा कि उसने किन मजबूरियों के तहत ऐसे फैसले किए जिससे निजी स्कूलों को नाजाय़ज फायदा हो और आम जनता का हक मारा जाए.”
मीडिया में जो खबरें आ रही हैं अगर वे सही हैं तो इससे गरीब तबके के छात्र बुरी तरह प्रभावित होंगे. इसके दो तात्कालिक परिणाम होंगे. पहला गरीब वर्ग के बच्चों को पांच फीसदी कम दाखिला मिलेगा. दूसरा शिक्षा का अधिकार के तहत सरकार को निजी स्कूलों को जो भुगतान करना होगा उसकी राशि पांच फीसदी बढ़ जाएगी यानी सरकारी राजस्व का नुकसान होगा.
आम आदमी पार्टी(आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री अशोक अग्रवाल ने कहा, “ शिक्षा विभाग ने तो निजी स्कूलों में गरीब तबके के छात्रों का कोटा 20 फीसदी रखने की ही सिफारिश की थी लेकिन शिक्षा मंत्री प्रो. किरण वालिया औऱ मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित ने गरीब वर्ग के कोटे को घटाकर 15 फीसदी कर दिया. दिल्ली सरकार गरीब तबके के हितों की अनदेखी करके निजी स्कूलों को फायदा पहुंचा रही है जो गैर-कानूनी और अनैतिक भी है. हम शीला सरकार से यह पूछना चाहते हैं कि आखिर वह ऐसे कदम क्यों उठाना चाह रही हैं जिससे आम गरीब जनता का हक भी मारा जाए साथ-साथ सरकारी खजाने को नुकसान भी हो.”
आप ने निजी स्कूलों की नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित प्वाइंट सिस्टम आधारित नर्सरी एडमिशन गाइडलांइस पर भी सवाल उठाए हैं. शिक्षा का अधिकार कानून नामांकन में प्राथमिकता के लिए दूरी और लॉटरी सिस्टम के अलावा किसी भी दूसरे मापदंड को मान्यता नहीं देता. नियम कहते हैं कि दो बच्चों के बीच किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता और चयन Random Method से ही होगा लेकिन सरकार के प्रस्तावित प्रावधान भेदभाव वाले हैं. इसमें स्कूलों को मनमाने तरीके से मानदंड निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है. यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम का सरासर उल्लंघन होगा.
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