ALLOWING FDI IN E –COMMERCE IS DEATH KNELL FOR TRADERS
IT’S A U TURN GOVERNMENT-CAIT
Allowing 100% FDI in E Commerce today by the Union Government has made the Government a U Turn Government known for taking U turn on several policies earlier opposed by the ruling party. It is deeply regretted that party which was shouting at full throat for opposing FDI in Retail is now advocating FDI on one pretext or the other having scant respect for the trading community. It is irony that Prime Minister Mr. Narendra Modi time and again advocating empowerment of small businesses whereas on the other hand regular steps are being taken to disarm the traders from their business activities. Allowing FDI in Food Processing, levy of Excise on Jewelry & Garments and now allowing FDI in e commerce are the living examples of U turn of the Union Government-said the Confederation of All India Traders (CAIT).
It is nothing but a back door entry to global retailers which will facilitate them to side step restrictions in Multi Brand retail since e-commerce has no geographical restrictions-said CAIT National President Mr. B.C.Bhartia and Secretary General Mr. Praveen Khandelwal, in a joint statement released here today at New Delhi. The traders across the Country will strongly oppose this move of the Government. The CAIT is convening an emergency meeting of its National Governing Council to take stock of the situation and to finalise future strategy.
Both Mr. Bhartia and Mr. Khandelwal said that “ We have failed to understand that why so far the Ministry of Commerce has never thought of preparing any proposal to strengthen the domestic trade which is second largest employment generating sector in the Country whereas on the other hand off and on ways and means are being contemplated by the Govt for providing greater access of Indian retail market to global retailers”-said Mr. Bhartia and Mr. Khandelwal.
FDI in retail in e commerce will hamper the trade and commerce conducted by not only the traders but even by the MSME sector. It will also distort the taxation system since the e-tailers will be registered with taxation department in one state but will be entitled to trade across the Country without seeking registration with tax authorities in other states and will be free to deliver material in another state with paying the local tax of the concerned state whereas on the other hand the traders or the MSMEs need to obtain separate registration in each state if they conduct business activities in more than one state-said both trade leaders.
There are about more than 6 crore business enterprises in retail trade of India which is contributing about 45% to National GDP with an annual growth of 15% with an annual turnover of more than Rs. 39 lakh crores of rupees and more than 46 crores of people are dependent upon retail trade for their livelihood where as on the other hand the MSME sector in India currently contributes around 9 per cent of GDP, accounts for around 36 per cent of the total value of exports and provides employment to over 8 crore persons through more than 3.6 crore enterprises. Also the sector has been growing consistently above 10 per cent for the last five years.
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For more details, please contact CAIT Secretary General Mr. Praveen Khandelwal at +91-9891015165-9310199771
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प्रेस विज्ञप्ति
29 मार्च, 2016
ई कॉमर्स में रिटेल ऍफ़ डी आई व्यापारियों के लिए मौत का फंदा
केंद्र सरकार बनी यू टर्न सरकार
देश के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है की आज केंद्र सरकार द्वारा इ कॉमर्स में 100 प्रतिशतऍफ़डीआई को अनुमति दिए जाने से सरकार एक यू टर्न सरकार में परिवर्तित हो गयी है जो अनेक ऐसे मुद्दे जिनका पहले भाजपा ने जमकर विरोधकिया था अब उन्ही मुद्दों को सरकार में आने के बाद किन्ही भी कारणों का बहन लेकर लागू किया जा रहा है !
यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है की जो पार्टी गला फाड़ कर रिटेल में एफडीआई का विरोध कर रही थी अब वही पार्टी एफडीआई के समर्थन में खुल कर आगयी है जिससे यह साफ़ जाहिर हो गया है की भाजपा को अब व्यापारियों की कतई परवाह नहीं है ! अजीब बात है की एक तरफ तो प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी लगातार छोटे व्यावसायों को मजबूत करने की बात कह रहे हैं वहीँ दूसरी ओर सरकार व्यापारियों का व्यापार ख़त्म करने में कोई भीकसर नहीं छोड़ रही है ! फ़ूड प्रोसेसिंग में एफडीआई को अनुमति देना, ज्वेलरी पर एक्साइज लगाना ओर अब इ कॉमर्स में एफडीआई को अनुमतिदेना यह साबित करते हैं की सरकार यू टर्न की स्तिथि में है!
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भर्तिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज नई दिल्ली में जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कीयह एक प्रकार से विदेशी रिटेल कम्पनियों के लिए पिछले दरवाजे से भारत के रिटेल व्यापार में प्रवेश की कोशिश है और इसके चलते सरकारद्वारा रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई पर बनाये गए सभी नियम ध्वस्त होंगे क्योंकि ई कॉमर्स में व्यापार करने की कोई सीमा नहीं होती ! इस मुद्दे कादेश भर के व्यापारी डट कर विरोध करेंगे ! कैट ने अपनी नेशनल गवर्निंग कौंसिल की एक आपात बैठक बुलाने का फैसला किया गया है जिसमेंवर्तमान स्तिथि पर विचार कर भविष्य की राणनीति तय की जायेगी !
श्री भर्तिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा ही ई कॉमर्स में रिटेल ऍफ़ डी आई को अनुमति देने का कैट सहित देश के 40 हजार से अधिक व्यापारिकसंगठन जबरदस्त विरोध करेंगे ! दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा की " यह समझ से परे है की वाणिज्य मंत्रालय ने आज तक देश के घरेलू व्यापार कोमजबूत करने के लिए कोई पहल नहीं की जो देश में रोजगार देने वाला कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है जबकि दूसरी ओर विदेशी कम्पनियों कोदेश के खुदरा बाज़ार को सौंपने में मंत्रालय लगातार नयी नयी योजनायें बनाने में जुटा हुआ है !
श्री भर्तिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की इ कॉमर्स में ऍफ़ डी आई के प्रवेश से न केवल व्यापारी बल्कि लघु उद्योग सेक्टर को भी एक बड़ाझटका पहुंचेगा ! उन्होंने ने यह भी कहा की इस से देश की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में भी विसंगति आएगी क्योंकि ई कॉमर्स का व्यापार करने वालीकम्पनियां केवल एक राज्य के कर विभाग में अपना पंजीकरण कराती हैं जबकि वो सामान अन्य राज्यों में बिना उस राज्य का कर दिए बेचती हैंजबकि दूसरी ओर व्यापारी अथवा लघु उद्योग को अपना सामान किसी भी राज्य में बेचना हो तो प्रत्येक राज्य में पंजीकरण करना आवश्यक है !
देश के खुदरा बाज़ार में लगभग 6 करोड़ से अधिक व्यापारिक प्रतिष्ठान कार्यरत हैं जो राष्ट्रीय जी डी पी में 45 प्रतिशत का योगदान करते हैं ओरजिनकी वार्षिक वृद्धि दर लगभग 15 प्रतिशत है ओर सालाना 39 लाख करोड़ रुपये से ऊपर का कारोबार करते हैं ! लगभग 46 करोड़ से अधिक लोगअपनी आजीविका के लिए खुदरा व्यापार पर निर्भर हैं जबकि लघु उद्योग राष्ट्रीय जी डी पी में लगभग 9 प्रतिशत का योगदान करते हैं और देश केकुल निर्यात में लघु उद्योग का हिस्सा लगभग 36 प्रतिशत का है ! देश के लघु उद्योग सेक्टर में 3 .6 करोड़ प्रतिष्ठान काम करते हैं जो लघभग 8करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं और पिछले पांच वर्षों से देश के लघु उद्योग की वार्षिक वृद्धि दर 10 प्रतिशत है !
ई कॉमर्स में रिटेल ऍफ़ डी आई को अनुमति निश्चित रूप से देश की पहले से ही बिगड़ी अर्थव्यवस्था पर बेहद विपरीत प्रभाव पड़ेगा !
अधिक जानकारी के लिए कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल से +91-9891015165-9310199771 पर संपर्क करने की कृपा करें!
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